* नाम रुकने का नहीं *
** गीतिका **
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ज्ञान की शुभ रौशनी की ओर बढ़ना है हमें अब।
है तमस अज्ञान का हर वक्त हरना है हमें अब।
नाम रुकने का नहीं लेना कभी भी जिन्दगी में।
जिन्दगी का हर नया सोपान चढ़ना है हमें अब।
ज्ञान से ही सत्य है साकार होता जब यहां पर।
फूल बनकर भोर में जब नित्य खिलना है हमें अब।
स्पर्श करने से हमें अनुभव हुआ करते मधुर ही।
स्नेह की अनुभूतियों में व्यर्थ रुकना है हमें अब।
है क्षणिक आनंद जीवन के सुपथ पर प्राप्त होते।
ये भ्रमित करते सदा यहां रमना है हमें अब।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य