नाम मेरा गुलफाम नहीं है
नाम मेरा गुलफाम नहीं है
लेकिन वह गुमनाम नहीं है
खेत और खलिहानों जैसा
कोई तीरथ धाम नहीं है
पकड़े हैं चाक़ू तलवारें
जिन हाथों को काम नहीं है
जिसको हमने वोट दिया था
ख़ास हुआ अब, आम नहीं है
तितली भँवरे आयें कैसे
कलियों का पैगाम नहीं है
आदर्शों की बात न करना
कलयुग में अब, राम नहीं है
सोच रहा है जाने क्या क्या
इस दिल को आराम नहीं है