नाम में कया रक्खा है?
#**नाम में क्या रखा है? **#
जब कुछ नहीं कर सकते तो नाम ही बदल देते हैं और साल छः महीने उसी के सम्मोहन और विश्लेषण में कब व्यतीत हो जाते हैं, पता ही नहीं चलता। ग्रेजुएट हो गये तो अपने पैरों पर खड़े होने का जुनून सिर चढ़कर बोलने लगा। बहुत प्रयासों के बाद एक स्कूल में सम्मान जनक वेतन पर काम मिल भी गया लेकिन मैनेजर ने कहा कि अपना नाम अंजू बताना है। नया दिमाग दुनिया दारी कैसे समझ पाता? हाँ कर दी। लेकिन जब संगी साथियों ने अंजू कहकर बुलाना शुरू किया तो मीरा नाम अकड़ कर खड़ा हो जाता सामने। हार कर एक सप्ताह के बाद अपने पैरों पर खड़े होने का भूत उतर गया और बैठ गये अपने घर।
बहुत नाम बदले इस बीच, मसलन आगरा यूनिवर्सिटी अब डॉ भीमराव अम्बेडकर यूनीवर्सिटी है। पहले पूरे आगरा की झलक मिलती थी उस नाम से, जैसे यमुना, ताजमहल, फतेहपुर सीकरी,बिजली घर, कचहरी घाट, बेलन गंज, पेठा,दालमोंठ, पर अब एक वर्ग एक व्यक्ति की झलक मिलती है। हाथरस नाम से ही दरी, गलीचाऔर बंधानी हींग की खुशबू आने लगती थी पर जब से महामाया नगर नाम हुआ तब से कबीर जी की कविता ‘माया महाठगिन मेरे भाई’ याद आ जाती है। कभी चेरापूंजी से झमाझम बरसात के दृश्य दिखने लगते थे पर अब सासाराम में आसाराम की प्रतिध्वनि गूंजने लगती है। कलकत्ते से स्पात नज़र आता था क्योंकि कि वहाँ से कई बार जहाज की चद्दर से बने बक्से और कढ़ाई माँ ने मगाये थे, पर अब कोलकाता से कोयला प्रतिध्वनित होता है। विकलांग से किसी व्यक्ति का असहाय या विकल होना प्रतीत होता था पर अब वही दिव्यांग कहे जाते हैं, यानि दिव्य ज्योति दिव्य आभामय व्यक्ति जैसे पतन्जलि के दिव्य उत्पादों की तरह दिव्य व्यक्ति। अभी तक सेल टैक्स के आगोश में थे पर अब जी एस टी के सम्मोहन में खुद को प्रगतिशील और राष्ट्र भक्त समझ कर गौरवान्वित, क्योंकि अब हम हर बस्तु पर जी एस टी एक्स्ट्रा देकर उसकी रसीद सहेज लेते हैं कि जैसे हम राष्ट्र निर्माण में अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं, सेल्स टैक्स पहले भी देते थे पर उसमें वह बात कहाँ थी जो जी एस टी में है।
अब दिल्ली का राम लीला मैदान जिसमें राम की लीलाएं, धनुष – वाण, रावण और उसका परिवार, कथाएं स्वतः ही मस्तिष्क पर उभरने लगती थीं और अब जब उसका नाम अटल बिहारी वाजपेयी होने जा रहा है तो उनकी कविताओं ने, “‘हार नहीं मानूंगा रार नहीं ठानूंगा,” “काल के कपाल पर।।। आदि ने सिर पर डेरा डालना शुरू कर दिया है। पर लोग कहते हैं कि नाम में क्या रक्खा है? बहुत कुछ होता है नाम में। सिर पर नर्तन करते हैं नाम। नाम बदल दूंगा की धमकी सुनायी पड़ती है। कहीं कोई बदल न दे, इसलिए अब बात बात पर अपना नाम लेती रहती हूँ। मीरा नाम है मेरा, मीरा ने खाना खा लिया,मीरा ने पानी पी लिया,मीरा ने दवा खा ली आदि आदि।।।।। ।।
मीरा परिहार’ मंजरी ‘
11/11/2018 आगरा उत्तर प्रदेश