नाम बदल गया (लघुकथा)
नाम बदल गया (लघुकथा)
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यह 15 अगस्त 1947 की सुबह है । लाहौर के एक छोटे से गांव में लीलावती पागलों की तरह गली में घूम रही थी । सबको रोक- रोक कर बता रही थी कि नाम बदल गया… नाम बदल गया ।
बदहवास लीलावती बताती थी कि अब हम हिंदुस्तान में नहीं रहते हैं । अब इसका नाम पाकिस्तान हो गया है।
बाकी सब लोग तो लीलावती की बात समझते थे और जानते भी थे। मगर गांव में एक महिला प्रेमवती भी थी।प्रेमवती की उम्र यद्यपि 58 साल की थी लेकिन फिर भी उसकी समझ में यह बात नहीं आई।
उसने कहा -“यह कैसे हो सकता है ? हजारों साल से हमारे पुरखे हिंदुस्तान में रहते चले आ रहे हैं और हम भी हिंदुस्तान में ही पैदा हुए। यहीं रह रहे हैं । अब उसका नाम कैसे बदल सकता है ? ”
….. फिर प्रेमवती भी लीलावती की तरह ही गली में पागलों की तरह घूमने लगी और सब से कहती थी..” नाम कैसे बदल सकता है ? यह क्या कोई अपनी मनमर्जी है कि जब चाहे जिसका जो चाहे नाम रख लो ? जब एक पुराना नाम हिंदुस्तान चला आ रहा है तो पाकिस्तान नाम क्यों रख लिया ?”
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लेखक: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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