नाम तेरा गुम जायेगा।
अस्थि-पंजर बह जाएगा,
बाकी सब यहीं रह जाएगा,
नाम तेरा गुम जाएगा मगर,
याद रहेगा जो तू कह जाएगा,
अनंत शांति रहेगी कहीं,
कहीं सन्नाटा रह जायेगा,
छूटी जो डोरी सांसो की तो,
साया भी संग न जा पायेगा,
क्यों इतराता अपनी काया पर इतना,
कि ये मिट्टी का महल ढह जाएगा,
ना रहेगा बाकी कहने वाला,
ना सुनने वाला रह जायेगा।
कवि- अंबर श्रीवास्तव।