Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Mar 2022 · 1 min read

नापसंद जूते

नापसंद जूते

युवक यशवंत रूठा था। क्योंकि पापा जो जूते लाए थे। वो थे तो ब्रांडेड लेकिन उसे पसंद नहीं थे।
पास बैठे दादा जी ने उसे बताया कि वे बिना जूते डाले ही विद्यालय जाते थे।
ज्येष्ठ-आषाढ़ की दोपहर में जब छुट्टी होती थी। तो दोपहर में गर्म रेत में पैर जलते थे। जलने से बचने के प्रयास में, पैरों के तलवे में पीपल या बरगद के पत्ते बांधकर चलते थे।
रास्ते में पशुओं का गोबर मिलता था, तो पैर उसमें डालकर पैरों की तपन शांत करते थे।
गोबर को दूर से देखकर ही अपना लेते। सहपाठियों से कह देते थे। वो सामने दिखाई दे रहा गोबर मेरा है। गोबर के लिए सहपाठियों में झगड़ा तक हो जाता था।
पसंद-नापसंद तो दूर की बात थी। चप्पल-जूते होते ही नहीं थे।
दादा जी की बात सुन कर यशवंत वही जूते जो पसंद नहीं थे। डालकर कॉलेज के लिए चल पड़ा।

-विनोद सिल्ला

Language: Hindi
1 Like · 396 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
आ गया मौसम सुहाना
आ गया मौसम सुहाना
Dr. Rajendra Singh 'Rahi'
जन्म मृत्यु का विश्व में, प्रश्न सदा से यक्ष ।
जन्म मृत्यु का विश्व में, प्रश्न सदा से यक्ष ।
Arvind trivedi
सूरज दादा ड्यूटी पर
सूरज दादा ड्यूटी पर
डॉ. शिव लहरी
रिश्तों का एहसास
रिश्तों का एहसास
Dr. Pradeep Kumar Sharma
Asman se khab hmare the,
Asman se khab hmare the,
Sakshi Tripathi
तेरा मेरा साथ
तेरा मेरा साथ
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
डॉ अरूण कुमार शास्त्री - एक अबोध बालक 😚🤨
डॉ अरूण कुमार शास्त्री - एक अबोध बालक 😚🤨
DR ARUN KUMAR SHASTRI
श्री कृष्णा
श्री कृष्णा
Surinder blackpen
सावन में शिव गुणगान
सावन में शिव गुणगान
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
"समझाइश "
Yogendra Chaturwedi
अपने साथ चलें तो जिंदगी रंगीन लगती है
अपने साथ चलें तो जिंदगी रंगीन लगती है
VINOD CHAUHAN
"You can still be the person you want to be, my love. Mistak
पूर्वार्थ
पति-पत्नी, परिवार का शरीर होते हैं; आत्मा तो बच्चे और बुजुर्
पति-पत्नी, परिवार का शरीर होते हैं; आत्मा तो बच्चे और बुजुर्
विमला महरिया मौज
मैं चल रहा था तन्हा अकेला
मैं चल रहा था तन्हा अकेला
..
यह रंगीन मतलबी दुनियां
यह रंगीन मतलबी दुनियां
कार्तिक नितिन शर्मा
मजदूर हैं हम मजबूर नहीं
मजदूर हैं हम मजबूर नहीं
नेताम आर सी
सबके दामन दाग है, कौन यहाँ बेदाग ?
सबके दामन दाग है, कौन यहाँ बेदाग ?
डॉ.सीमा अग्रवाल
सताता है मुझको मेरा ही साया
सताता है मुझको मेरा ही साया
Madhuyanka Raj
गाडगे पुण्यतिथि
गाडगे पुण्यतिथि
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
ईद मुबारक़ आपको, ख़ुशियों का त्यौहार
ईद मुबारक़ आपको, ख़ुशियों का त्यौहार
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
बेरहमी
बेरहमी
Dr. Kishan tandon kranti
अब तक मैं
अब तक मैं
gurudeenverma198
हम जंग में कुछ ऐसा उतरे
हम जंग में कुछ ऐसा उतरे
Ankita Patel
*कर्मों का लेखा रखते हैं, चित्रगुप्त महाराज (गीत)*
*कर्मों का लेखा रखते हैं, चित्रगुप्त महाराज (गीत)*
Ravi Prakash
आसमान पर बादल छाए हैं
आसमान पर बादल छाए हैं
Neeraj Agarwal
कावड़ियों की धूम है,
कावड़ियों की धूम है,
manjula chauhan
सत्य क्या है ?
सत्य क्या है ?
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
24/246. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
24/246. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
सुन्दरता।
सुन्दरता।
Anil Mishra Prahari
श्री रामचरितमानस में कुछ स्थानों पर घटना एकदम से घटित हो जाती है ऐसे ही एक स्थान पर मैंने यह
श्री रामचरितमानस में कुछ स्थानों पर घटना एकदम से घटित हो जाती है ऐसे ही एक स्थान पर मैंने यह "reading between the lines" लिखा है
SHAILESH MOHAN
Loading...