नाना की याद….!
हमें मिला है सुख,
तेरे आंँगन में खेलकर,
गोद में लेट कर,
जब बुलाते हो प्यार से,
सुंदर घर वह याद आता है,
एक बार नहीं तीन बार बदलते देखा है,
पौधों को लगाते देखा है,
मन में उत्सुकता उठी,
आपकी याद में,
हम भी पानी सीचेंगे,
घर में क्यारियांँ बनाकर,
उनमें पौधों को लगाएंगे,
एहसास हर पल का है आपका,
नाना-नाना कहकर पुकारा जो है,
सीखा जो है घरों को सजाना,
नवाबों की तरह पहनना,
हर समय आशीष दिया जो है,
अपनी बेटी को आवाज देते हो जब ,
मांँ को बचपन की याद दिलाते हो तब,
कितना अच्छा लगता है उस समय को देख कर ,
मांँ की जगह मेरी ऊँगली पकड़े हो,
आज नाना क्या सोचकर..?
रचनाकार-
✍🏼 बुद्ध प्रकाश
मौदहा हमीरपुर ।