#नादान प्रेम
#नमन मंच
#विषय नादान प्रेम
प्रेम की अजीब परिभाषा
प्रेमी को अपने पाना ही
एक मात्र है अभिलाषा
दो दिन की है मुलाकात
गहरे इतने है ताल्लुकात ?
वह पिता जो काम पर
जाने से पहले पत्नी से
नहीं बेटी से अपनी पूछता
आते वक्त क्या है लाना
अपनी पसंद तो बता !
जीवन को तुम्हारे संवारने
दफ्न कर दिये सीने में
सपने जो कभी थे अपने !
गुमान था बेटी पर अपने
उस बाप की इज्जत का
कुछ तो ख्याल किया होता !
एक मौका तो दिया होता
बेटी की अपनी खुशी के लिए
शायद मान भी गया होता
बेमन से ही सही तुझे घर से
अपने विदा किया होता !
स्वरचित मौलिक रचना
राधेश्याम खटीक