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9 Sep 2024 · 1 min read

#नादान प्रेम

#नमन मंच
#विषय नादान प्रेम

प्रेम की अजीब परिभाषा
प्रेमी को अपने पाना ही
एक मात्र है अभिलाषा
दो दिन की है मुलाकात
गहरे इतने है ताल्लुकात ?

वह पिता जो काम पर
जाने से पहले पत्नी से
नहीं बेटी से अपनी पूछता
आते वक्त क्या है लाना
अपनी पसंद तो बता !

जीवन को तुम्हारे संवारने
दफ्न कर दिये सीने में
सपने जो कभी थे अपने !

गुमान था बेटी पर अपने
उस बाप की इज्जत का
कुछ तो ख्याल किया होता !

एक मौका तो दिया होता
बेटी की अपनी खुशी के लिए
शायद मान भी गया होता
बेमन से ही सही तुझे घर से
अपने विदा किया होता !

स्वरचित मौलिक रचना
राधेश्याम खटीक

Tag: Poem
50 Views

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