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22 Dec 2017 · 1 min read

नादान परिंदे

उड़ने दो इनको ,
उड़के कहां तक जाएंगे|
किस्मत के मारे हैं ,
लौट के घर ही आएंगे।

सुना है वक्त के साथ,
सब कुछ बदलता है|
देखना है ये परिंदे ,
कहां तक बदल जाएंगे।
: आलोक (गीत)

Language: Hindi
902 Views
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