नाटक
नाटक से लगाव
बचपन से ही था।
गांव में नाटक
गांव के नाटक
उससे पहले
घर में नाटक
घर से बाहर
नाटक
हर जगह
नाटक ही तो है
हम सब भी तो
नाटक के पात्र हैं
लेकिन
उसका पटकथा
लिखा जाना
बांकी है।
रामलीला
नाटक ही तो था
उसमें से निकला
पहला नायक
लेकिन जिस नायक की
तलाश में
मैंने भी कई
नाटक किए
लेकिन वह
नायक अब तक
नहीं मिला,
पढ़ा हूं
देखा हूं
सबको
लेकिन
आपको देखकर
लगता है
वैसा ही है
शायद कुछ कुछ
साम्यता है।
फिर भी
आज भी तलाश रहा हूं
अपने पटकथा का
नायक।
राजीव कुमार भारद्वाज,मुजफ्फरपुर।