नाजायज परम्परा (कन्या भ्रूण हत्या)
अनचाहे
गर्भ की दीवारों में कैद
जो पंछी की तरह पिंजडे से
बाहर जाना चाहती है
कन्या है
सुनते ही गृह प्रवेश निषेध की
तख्ती लगा दी जाती है
कारण पूछने पर
बोझ उठाने में असमर्थ
बेरहमी से जवाब दिया जाता है
जहां से आई थी वही भेज दिया जाता है
बाहर आते हैं
उसके जिस्म के टुकड़े
अपराधी को हाथकड़ियां पहनाने वाले
कानून की आँखो में
धूल झोंक दी जाती है
नाजायज परम्परा जारी है लगातार
परिवर्तन की प्रतीक्षा है