काला धन कागज हुआ
नाजायज जायज लगे, जायज न्याय विरुद्ध !
जहाँ भावना मर्म की, ….होती नहीं विशुद्ध !!
काला धन कागज हुआ, हुआ जिन्हे ये बोध!
सही कदम का कर रहे, खुलकर वही विरोध!!
हुई एक ही वार से, उन्हे बहुत तकलीफ!
बैठे थे कुछ शख्स जो,बनकर बडे शरीफ!!
काले धन के नाम पर, था जिनमे अति रोष !
वही सुधारों में लगे,…….. आज ढूंढने दोष !!
बनते थे जो आज भी,….. सबसे बड़े शरीफ !
उनको ही अब हो रही, और अधिक तकलीफ !
कितनों की निद्रा उडी,ढेरों हुए हताश !
मोदीजी ने कर दिया,..ऐसा पर्दाफाश!!
आए जिनको देश मे,……घोटाले ही रास !
ऐसों से यह देश भी, कभी न रखता आस !!
वो जो करते थे कभी,देश भक्ति की बात!
आयी है अब सामने,उनकी सच औकात!!
ऐसों से बचकर रहो, ..हरदम सखा रमेश!
तोड मोड कर कर रहे, खबरों को जो पेश! !
जिनके हिस्से की जमीं,बंजर हुई तमाम!
वो ही देने लग रहे,, बारिश को इल्जाम!!
वो भी देने लग गये,………देखो अब उपदेश !
किया न खातिर देश की,कुछ भी कभी रमेश!
मोदीजी उन पर करो, अब तो कडा प्रहार !
जमाखोर जो कर रहे,..नाजायज व्यापार! !
झेला सत्तर साल से,……..जैसे भ्रस्टाचार!
तकलीफें कुछ रोज की,कर लेना स्वीकार!!
रमेश शर्मा