नाच ना आवे आंगन टेढ़ा
विद्वानों को समझ न आये
अपने काम को सही बताएं
परिस्थिति पर दोष लगाये
अपनी गलती पर पर्दा डाले
जो अभ्यास की कमी रही
मेहनत पर क्यों जी लगाए
अल्प अनुभव बड़ा झमेला
काम किया सब टेडा मेड़ा
करने को तो कर लिया पर
नाच ना आवे आंगन टेढ़ा।
– विष्णु प्रसाद ‘पाँचोटिया’