नागरिकता बिल पर
मुझे मेरा प्यारा वतन चाहिए,
चहुं ओर शांति अमन चाहिए।
कोहरे की चादर पसंद है मुझे,
न दिखे जो सूरज पसंद है मुझे।
नफरत की मुझको ना धुंध चाहिए।
नहीं आसमां में घुटन चाहिए ,
मुझे मेरा प्यारा वतन चाहिए ,
चहुं ओर शांति अमन चाहिए।
वतन है हमारा तो मिलकर रहो सब,
कहीं कुछ है उलझन तो खुलकर कहो सब।
मुद्दे बहुत हैं समस्याएं काफी, बिना बात पैदा करो ना समस्या।
न सियासत की रोटी गरम चाहिए।
मुझे मेरा प्यारा वतन चाहिए
चहुं ओर शांति अमन चाहिए ।
बिना सोचे समझे शहर ये जले हैं।
दिलों में जो नफरत के मंजर पले हैं।
मनुजता की देखो चिता जली सी है।
शर्मशार जिससे हर एक गली है।
लावारिस सी लाशों को कफ़न चाहिए।
मुझे मेरा प्यारा वतन चाहिए।
चहुं ओर शांति अमन चाहिए।
होंगे तुम्हारे सत्ता के पासे।
लोगों को मत दो यू झूठे दिलासे।
जनता है भोली समझती नहीं है।
अनपढ़ है थोड़ी यह पढ़ती नहीं है।
पढ़ाने को रेखा समझ चाहिए ।
मुझे मेरा प्यारा वतन चाहिए ।
चहुं ओरशांति अमन चाहिए।