नाउम्मीदी से उम्मीद
नाउम्मीदी मे उम्मीद कभी खोना नहीं
बुरा है वक्त ए दौर अभी पर रोना नही
ले रहा है मालिक कठिन परीक्षाएं तेरी
रखना विश्वास अटल धीरज खोना नही
दिखाऐगा राह मंजिल तक ले जायेगा
थामें रखना बाँह तू उसका छोड़ना नही
आयेगी पूर्णिमा की रात्रि उजियारा लिए
घनघोर निशा अमावश लिए रूकना नही
सिखलाती हमें बदलती हुयी ऋतुएं सदा
जीवन ए सफर एक सा कभी रहना नही
चलेगा संघर्ष अन्तिम साँस तक जीवन में
काँटों भरी पथरीली डगर, पग रोकना नही
हलाहल दरिया सूखकर बनाता पतली राह
बरसेगा सावन झूमकर आशायें बिखेरना नही
फलित फूलित होगी खुशियों भरी डाली फिर
पतझड़ भी कुछ पल का ज्यादा ठहरना नही
-अर्चना शुक्ला”अभिधा”