!! नहीं होती !!
……नहीं होती
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ज़माने में गरीबों की कोई कीमत नहीं होती,
रईसी रुठ जाती है जहाँ खिदमत नहीं होती।
कोई जर्रा नहीं पाता कोई बैठा बुलंदी पर,
सभी की एक जैसी ही यहाँ किस्मत नहीं होती।
वो जिद्दी है जो करना चाहता है कर ही लेता है,
किसी की टोकने की भी कभी हिम्मत नहीं होती।
अलग ये बात है वो हूबहू बस नक़्ल करता है,
मगर वो जीत ना पाता अगर हिकमत नहीं होती।
जो रुतबेदार हैं वे आदमीयत भूल जाते हैं,
दिलों में उनके “दीपक” रत्तीभर रहमत नहीं होती।
दीपक “दीप” श्रीवास्तव
19 मई 2021