नहीं है साधारण
नहीं है साधारण
कवि होना
नहीं है साधारण
अपेक्षित हैं उसमें
असाधारण विशेषताएं
मात्र कवि होना ही
बहुत बड़ी बात है
लेकिन फिर भी
आत्मश्लाघा के मारे
लगते हैं नवाजने
खुद को ही
राष्ट्रीय कवि
वरिष्ठ साहित्यकार के
खिताबों से
नाम के आगे-पीछे
लगा लेते हैं
ऐसे उपनाम
जिन पर स्वयं
नहीं उतरते खरे
सम्मानित होने व
करने का कारोबार
ले जाता है
पतन के रसातल में
उनसे जनकल्याण के
सृजन की
अपेक्षा करना
बेमानी है
-विनोद सिल्ला©