नहीं हैं बोझ वृद्ध
न बने
वृद्धाश्रम
किसी का
सहारा
हर बच्चा बने
वृद्ध माता पिता का
आसरा
है
मजबूरी
वृद्धाश्रम
में जाना
स्वेच्छा से
चाहते नहीं
माता पिता
वहाँ जाना
मिले
मान सम्मान
न हो
किसी वृद्ध
का अपमान
हैं
घर की
रौनक वृद्ध
देते सदैव
आशीष वृद्ध
होती
सीमित
जरूरतें
वृद्धावस्था में
बस चाहते
साथ परिवार का
करो
मत उन्हें
निराश
तिलांजलि
दे दो
अब तो
वृद्धाश्रमों को
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल