नहीं हूं…
🖤मेरी खताओं से रूबरू करा दो मुझे ,
मैं अपने गुनाहों से वाक़िफ नहीं हूं ।🖤
🖤गुनहगारों को गवाह नहीं मिलते हैं ,
मैं अपने गुनाहों की वकील नहीं हूं ।।🖤
🖤जुर्म कोई किया नहीं मैंने ,
मैं मुजरिम शातिर नहीं हूं ।🖤
🖤दूजों को ज़िंदगी देने वाली मैं ,
मैं कोई कातिल नहीं हूं ।।🖤
🖤खुमारी है मुझे अच्छों का साथ देने में ,
मैं गुमराह करने के लायक नहीं हूं ।🖤
🖤बिन गलती किए और जानें ,
मैं किसी लग़्ज़िश से मुखातिब नहीं हूं ।।🖤
🖤कर दो पेश हर सबूत मेरे खिलाफ़ के ,
मैं गिरफ़्तारी के काबिल नहीं हूं ।🖤
🖤बेकसूरों को रिहा कराने वाली मैं ,
मैं किसी कसूर में शामिल नहीं हूं ।।🖤
✍️सृष्टि बंसल