Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Sep 2020 · 1 min read

नहीं बदलिये चाल

दोहे-
सुख में अहम न कीजिए, नहीं बदलिए चाल।
दुख भूले से आ गया, फिर होंगे बेहाल।।

परपीड़ा समझे नहीं, काहे के इंसान।
निर्बल का उपहास कर, बन बैठे हैवान।।

सुख-दुख दोनों ही सदा, रहते हरपल साथ।
दुख पहले आए कभी, उसे झुकाएँ माथ।।

दुख में धैर्य रखें सभी, कभी न करें विलाप।
सुख पीछे से आ रहा, हरने को सन्ताप।।

मुश्किल में मत हारना, नहीं तोड़ना आस ।
साथ मिलेगा ईश का, रखना तुम विश्वास।।

क्या अच्छा क्या है बुरा, सोच-समझ कर देख।
ऊपरवाला लिख रहा, सब कर्मों का लेख।।

किसी मनुज सम्मान को, कम करके मत तोल।
शब्दों की गरिमा रखो, सोच समझकर बोल।।
By:Dr Swati Gupta

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 287 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
जीवन को जीतती हैं
जीवन को जीतती हैं
Dr fauzia Naseem shad
दो जून की रोटी
दो जून की रोटी
Ram Krishan Rastogi
तु आदमी मैं औरत
तु आदमी मैं औरत
DR ARUN KUMAR SHASTRI
अध्यात्म का शंखनाद
अध्यात्म का शंखनाद
Dr.Pratibha Prakash
2957.*पूर्णिका*
2957.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हमारी सोच
हमारी सोच
Neeraj Agarwal
*कोपल निकलने से पहले*
*कोपल निकलने से पहले*
Poonam Matia
💐💐💐दोहा निवेदन💐💐💐
💐💐💐दोहा निवेदन💐💐💐
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
"In the tranquil embrace of the night,
Manisha Manjari
बेशक हुआ इस हुस्न पर दीदार आपका।
बेशक हुआ इस हुस्न पर दीदार आपका।
Phool gufran
मैं किताब हूँ
मैं किताब हूँ
Arti Bhadauria
खाक मुझको भी होना है
खाक मुझको भी होना है
VINOD CHAUHAN
24 के लिए
24 के लिए
*Author प्रणय प्रभात*
राणा सा इस देश में, हुआ न कोई वीर
राणा सा इस देश में, हुआ न कोई वीर
Dr Archana Gupta
सावन बीत गया
सावन बीत गया
Suryakant Dwivedi
Ranjeet Kumar Shukla
Ranjeet Kumar Shukla
Ranjeet Kumar Shukla
"ख़्वाहिश"
Dr. Kishan tandon kranti
बाल दिवस विशेष- बाल कविता - डी के निवातिया
बाल दिवस विशेष- बाल कविता - डी के निवातिया
डी. के. निवातिया
कितने घर ख़ाक हो गये, तुमने
कितने घर ख़ाक हो गये, तुमने
Anis Shah
कत्ल करती उनकी गुफ्तगू
कत्ल करती उनकी गुफ्तगू
Surinder blackpen
वो खुलेआम फूल लिए फिरते हैं
वो खुलेआम फूल लिए फिरते हैं
कवि दीपक बवेजा
"टी शर्ट"
Dr Meenu Poonia
परी
परी
Dr. Pradeep Kumar Sharma
मुद्दतों बाद खुद की बात अपने दिल से की है
मुद्दतों बाद खुद की बात अपने दिल से की है
सिद्धार्थ गोरखपुरी
रूठी बीवी को मनाने चले हो
रूठी बीवी को मनाने चले हो
Prem Farrukhabadi
'रामबाण' : धार्मिक विकार से चालित मुहावरेदार शब्द / DR. MUSAFIR BAITHA
'रामबाण' : धार्मिक विकार से चालित मुहावरेदार शब्द / DR. MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
भले कठिन है ज़िन्दगी, जीना खुलके यार
भले कठिन है ज़िन्दगी, जीना खुलके यार
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
खड़ा चुनावों में है जो उसमें  , शरीफ- गुंडे का मेल देखो   (म
खड़ा चुनावों में है जो उसमें , शरीफ- गुंडे का मेल देखो (म
Ravi Prakash
तेवरी
तेवरी
कवि रमेशराज
*फितरत*
*फितरत*
Dushyant Kumar
Loading...