नहीं नहीं जी कभी नहीं
हाय बुढ़ापे में क्या बचपन
दोबारा पा सकते हैं?
बीता है जो पल क्या उसमें
हम वापस जा सकते हैं?
नहीं नहीं जी कभी नहीं।
पूरी उम्र किसी की खातिर
कोई भी रोता है क्या?
पछताने से, बीत गया जो
पल वापस होता है क्या?
नहीं नहीं जी कभी नहीं।
इस दुनिया में आकर कोई
लाखों साल जिया है क्या?
किसी मनुज ने कभी यहाँ पर
अमृतपान किया है क्या?
नहीं नहीं जी कभी नहीं।
मुरझाए जो फूल यहाँ पर
दोबारा खिलते हैं क्या?
छोड़ हमें जो चले गए वे
आकर फिर मिलते हैं क्या?
नहीं नहीं जी कभी नहीं।
– आकाश महेशपुरी
दिनांक- 22/08/2021