नहीं दे सके साथ..
नहीं दे सके साथ… (शक्ति छंद)
नहीं दे सके साथ मेरा पिया।
इसी से जला ना सकी मैं दिया।।
रही हूँ तरसती लिए आस मन।
सजाते रहे स्वप्न बस तुम नयन।।
बताऊँ किसे वेदना कौन अब।
हँसेगें पता जानकर बात सब।।
नहीं यह नहीं कर सकूंगी कभी।
प्रतीक्षा हमें ठीक करना अभी।।
लिए हाथ बंदूक सीमा खड़े।
दिवस गिन रही हूँ यहाँ मैं पड़े।।
गया बीत सावन रहे तुम वहीं।
मुझे भूल तो ना गये हो कहीं।।
रुलाती रही गीत कोयल सुना।
निगोडी बताओ हमें क्यों चुना।।
बताया नहीं दर्द अपना कभी।
चुराते नजर को रहे हो तभी।।
भरोसा किया पर निभाया नहीं।
हमें याद करके बुलाया नहीं।।
यही टीस मन में रही कोसती।
मगर प्यार करते हृदय पोषती।।
नहीं नाथ बाधा हमें मानना।
मुझे राह अनुगामिनी जानना।।
वतन से बड़ा प्रेम अपना नहीं।
करो तुम वही लग रहा जो सही।।
डाॅ. राजेन्द्र सिंह ‘राही’
(बस्ती उ. प्र.)