नहीं जो चाहते थे हम वही प्रभु ने दिखाया है।
गज़ल
1222……..1222……..1222……..1222
नहीं जो चाहते थे हम वही प्रभु ने दिखाया है।
वही जाने कि कलियुग में समय कैसा ये आया है।
हमारे तन को ढकने को नहीं मिलते थे तब कपड़े,
भरा कपड़ों से घर, फिर भी बदन नंगा ही पाया है।
किसी की हो बहन बेटी, सभी की लाज होती थी,
उसी बेटी बहन को ही, पड़ोसी ने लजाया है।
गली औ’र गांव के दादा, व दादी सबके प्यारे थे,
यहाँ बेटा ही मां को, वृद्धा आश्रम छोड़ आया है।
खिलौनों की कमी थी बच्चे मिलकर खेलते थे सब,
हैं कितने खेल के साधन, मोबाइल ने फँसाया है।
कि हम देते थे रोटी जानवर को अब नहीं चिंता,
पड़ोसी ने अगर बच्चे को भूखा भी सुलाया है।
किसी के साले बहनोई वो सारे गांव के ही थे,
मगर अब कौन पूछे किसका रिश्तेदार आया है।
हुए हम सभ्य या फिर सभ्यता ये मात्र है धोका,
ये सच प्रेमी जो पाया था वो सब हमनें गँवाया है।
……✍️ प्रेमी