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24 Jul 2019 · 1 min read

नहीं चाहिए वो भगवान

नहीं चाहिए भगवान

नहीं चाहिए वो भगवानजो
दलित से अशुद्ध हो जाता है।

बाहर गरीब मरता भूखा,
वो छप्पन भोग लगाता है।।

चैन से नहीं जीने देता ,
जो नित नए दंगे करवाता है।

सोने की मूर्ति है जिसकी,
पुजारी गाङी में आता है।।

छत को तरस रहे हैं लोग,
वहां खूब चढावा आता है।

पेट काट गरीब चढाते,
उसे मोटे पेट वाला खाता है।।

समदर्शी तुझे कहते हैं,
पैसे वाला ही दर्शन पाता है।

दलित, गरीब, वंचित,भी
लंबी पंक्ति में लग जाता है।।

सिल्ला” का मन तोङने वाला,
तू भगवान कहलाता है।

तू मात्र मानव की कल्पना,
में ही पाया जाता है।।

-विनोद सिल्ला

Language: Hindi
1 Like · 478 Views
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