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12 Sep 2021 · 1 min read

नहीं खुश्बू मिले फल काग़ज़ी में

नहीं खुश्बू मिले फल कागजी में
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**1222 1222 122 (ग़ज़ल)*
**************************

तरीका चाहिए आवारगी में,
हमेशा शुद्धता हो ताज़गी में।

भले ही हो तहस सबकुछ वहाँ पर,
बचे अवशेष बस वीरानगी में।

दशा बिगड़ी यहाँ पर शख़्श की है,
हुआ है हाल ये दीवानगी में।

किसी का जोर चलता ही नहीं है,
कभी मिलता नहीं फल सादगी में।

कहाँ पर प्यार मनसीरत मिलेगा,
नही खुश्बू मिले फल कागजी में।
**************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

1 Like · 225 Views
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