नहीं कोई धरम उनका
मापनी-१२२२ १२२२ १२२२ १२२२
नहीं कोई धरम उनका ,नई गंगा बहाते हैं।
महज इक काम है उनका ,सदा पब्लिक रिझाते हैं।।१
नजर उनकी है’ वोटर पर, रखे ज्यों मीन पर साधक,
नये सपने दिखाकर वो,सदा उनको लुभाते हैं।२
नजर उनकी लिफाफे पर, रखे ज्यों मीन पर साधक,
चुटकुले ही सुनाकर वो, स्वयं को कवि बताते हैं।२
सदा करते बड़ाई निज,हवा में बात करते हैं,
मियाॅ मिट्ठू उन्हें कहते, सदा अपनी सुनाते हैं।३
नहीं करते भरोसा जो, कभी औरों की’ बातों पर
कभी लोगों को’ ऐसे जन, नहीं दुनिया में’ भाते हैं।४
अटल को बात ये अखरी, सदा ही इस जमाने की,
नहीं कुछ भी हैं’ लेकिन वो, हमेशा ऐंठ जाते हैं।५