‘सलाह’
‘सलाह’
सबके साथ रहना सदा,
किसी भी, भीड़ में;
अकेले का, शौक ना रखना;
किसी तस्वीर में।
खुद भी, तस्वीर देखा करो;
तेरा तस्वीर, सिर्फ दूसरे देखें;
ऐसा न लिखा हो कभी,
तेरी तकदीर में।
जल्दबाजी में,मत फसों,
रफ्तार से, सदा बचो;
वरना,आ जाओगे तुम;
एक तस्वीर में।
ज्यादा कुछ न मिलेगा कभी,
जितना है, तकदीर में;
किस्मत पे कायम रहो,
मत फसना, पीर-फकीर में।
लिखा है जो, हाथ लकीर में;
कष्ट होंगे,कई शरीर में;
हर जीव को, बचाना सीखो;
नयन मत भींगाना,नीर में।
छोड़ो, निज एकाकीपन;
रखो सब से तू, अपनापन;
बीत गई जो बात भूलो;
तुम भी अपनी गलती कबूलो।
°°°°°°°°°°°°°?°°°°°°°°°°°°
स्वरचित सह मौलिक;
……✍️ पंकज कर्ण
………….कटिहार।।