— नसीहत —
कुछ समय पहले की बात , जो मैं आज आपको सुना रहा हूँ , जरा गौर फरमाना , आशा करता हूँ, इस नसीहत रुपी कहानी से आपको कुछ न कुछ जरुर हांसिल होगा , अगर न भी हांसिल होगा तो किसी न किसी के लिए काम जरुर आ जायेगी यह बात !!
एक बहुत बड़ी फैक्ट्री है, और उस फैक्टरी में अनगिनत लोग काम करने के लिए आया करते हैं , सुबह से रात तक सारे कर्मचारी काम कर के खुद को बहुत अच्छा महसूस किया करते हैं , क्यूंकि उनको माह की पगार समय से मिल जाती है, तो उनका घर आराम से चलता है, किसी के आगे हाथ नही फैलाना पड़ता !
उस फैक्टरी के सामने किसी ने अपनी हलवाई की दूकान खोल दी , और उस दूकान की बिक्री दिन प्रति दिन बढती चली गयी ! उस फैक्टरी के बहुत से कर्मचारी वहां पर समोसे खाने , चाय पीने और हलवाई से मिष्ठान खरीदने आया करते थे ! इत्तेफाक की बात है , कि उस फैक्टरी के एक मैनेजर साहब भी वहां पर कभी कभार समोसे खाने के लिए आ जाया करते थे, और उनके मुंह से हलवाई के लिए एक बात निकल गयी, और वो बात शायद मैनेजर साहब के लिए भी नसीहत बन गयी !!
मैनेजर साहब ने एक बात कह दी, कि अगर आपने (हलवाई ) थोड़ी सी कोशिश की होती तो, आज आप भी मेरे जैसे किसी न किसी कंपनी के मैनेजर बन कर काम कर रहे होते, और खूब आराम से जिन्दगी को बिता रहे होते, यह आपने भी क्या काम खोल लिया ! उन मैनेजर साहब की बात को सुनकर वो हलवाई महोदय बहुत मुस्कराहट के साथ उनको कहने लगे, कि आप माना की अब मैनेजर हैं, इस से पहले आप फोरमैंन, सुपरवाईजर थे, जब आप दस हजार रुपये महीना लिया करते थे . आज आप 50 से 60 हजार महीने के कमा लेते हो, मैने इस काम को शुरू बहुत कम पूँजी से किया था..शुरू शुरू में मैं फेरी लगाकर समोसे बेचा करता था..1000, 1500 कमा लिया करता था..पर फिर मैने कोशिश करके इस फैक्टरी के सामने यह दूकान बना ली !और आज महीने के लाखों रुपये कमा रहा हूँ ! और बड़े मजे से सारे काम मेरे सम्पन्न हो रहे हैं !!
पर मैनेजर साहब मैं यह नही कह रहा कि मेरे को आपको यह जाताना है, कि कितना कमा रहा हूँ, मेरा मकसद आप समझो, आज मैने जो दूकान बना डाली है न, उस पर मेरे बच्चे बैठकर खूब पैसा कमाएंगे , और जितना मैने आज तक कमाया वो सब मेरे बच्चों के काम आएगा ! और आप जितना कमा रहे हैं, उस में से कितना बचा रहे हैं, और दूसरा आपके बच्चे जब भी कहीं नौकरी करने के लिये जायेंगे , उनको अपनी नौकरी की शुरुआत जीरो से ही करनी पड़ेगी , जितने वो काबिल होने, उस के हिसाब से ही तो उनको पैसा मिलेगा ! और वो सारी मेहनत का फल उस मालिक को मिलेगा, जिस की आप और आपके बच्चे नौकरी करेंगे !! यानी मेहनत आप लोग करोगे, उस का फल वो लोग ग्रहण करेंगे !! मेरे किये का सारा फल मेरे बच्चों को ही मिलेगा और वो आगे से आगे नित नया ही करते जायेंगे !!
इसलिए साफ़ सुथरे शब्दों में एक बात यही कहूँगा, अहोदा या पद बेशक आपका बड़ा है, आप बड़े नौकर बनकर काम करते हो, उस से अच्छा है, कि छोटे से नौकर बन जाओ और अपने हिसाब से काम करते हुए खूब आगे का रास्ता साफ़ करो, अपनी जिन्दगी में वो सब हांसिल करो, जो आप और आपके परिवार के बच्चे चाहते हैं ! इस लिए मैने किसी की नौकरी न कर के अपने काम को तवज्जो दी मैनेजर साहब !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ