नशे को न कहें
नशे को न कहें
मानव जीवन भगवान की
सबसे अद्भुत – अद्वितीय रचना।
यही मानव जीवन बन जाता
बदसूरत ,सामान्य से भी बदतर।
जीना दुभर फिर हो जाता
जब नशा सिर चढ़ जाता ।
तम्बाकू,शराब,चरस,गाँजा
अनंत लुभावने नशों का झाँसा ।
ऐसी लत आसानी से न छूटे
साँसे भी संग- संग ले डूबे।
खोखला शरीर मौत को तरसे
मौत भी उन पर रह – रह बरसे।
शरीर हो जाए दुर्बल हर पल
मानो हो बुरे कर्मों का फल ।
माता- पिता हो जाते लाचार
करते प्रभु से जीवनदान की पुकार।
अपनी उम्र भी वारने को तैयार
बच्चों के लिए कुछ साँसों की आस।
ये आस आँसुओं संग बह जाए
जब हर डाक्टर ,वैध जवाब दे जाए।
ये नशे की आदत है धीमा जहर
युवा पीढ़ी पर ढाह रही है कहर ।
आधुनिकता की होड़ ने अँधा बनाया
अच्छे खाँसों को नशेड़ी बनाया।
अब और यह सहा नहीं जायेगा
इस बिमारी को देश से भगाया जायेगा ।
जागरूकता युवाओं में जगानी पड़ेगी
नशे को बाय बाय कहनी पड़ेगी ।
सुन्दर भविष्य का होगा तभी निर्माण
जब देश में होगा नशा मुक्ति- आह्वान।
प्यार व समझदारी दिखानी पड़ेगी
नशे से देश को मुक्ति दिलानी पड़ेगी ।
लालचियों को देश निकाला दे दो
मृत्यु के सौदागरों को मौत दे दो।
सब को मिलकर लेना होगा प्रण
देश को बनाएँगे नशामुक्त वसन।
नशे को न कहें🙏
नीरजा शर्मा