नशा
घर-संसार बिखरता है
नशा जो व्यक्ति करता है
होती है उनकी दशा खराब
जिस रस्ते वो चलता है
कुछ पल की खुशी है देता
कर देता जीवन बेकार
दुर्दशा हो जाती जीवन की,
रहता ना किसी से सरोकार
पान ,बीड़ी या हो तंबाकु,
शराब हो चाहे हो दारू
पीती वो हमको चपला चारु,
पीता वो सबका जीवन है
ना जाने कितनों के घर तबाह हुए
पैसों से कंगाल हुए
रोगों से कितने घिर गए
फिर भी पीने को बेहाल हुए
मदिरापान जो करता है,,ना ही किसी की सुनता है
होती दुर्घटना बड़ी-बड़ी दुख में व्यक्ति सदा रहता है
होती जीवन की बर्बादी,होता है परिवार बदहाल
पत्नी नहीं सोती चैन से,बच्चा रहता भूख से बेहाल
ममता रानी