नशा देश का दुश्मन
नशा देश का परम् शत्रु है,
जो करता सब कुछ नाश।
सम्हल जाओ समय अभी है
वरना होगा फिर विनाश।।1।।
काम करो इंसानो जैसे,
है दुनिया को तुमसे आस।
बिना व्यसन के बल से ही,
होता जीवन में प्रकाश।।2।।
खैनी बीड़ी गुटखा मदिरा,
है असत्य में इनका वास।
मन में अपने निर्मलता लाना,
है जीवन ही सबसे खास।।3।।
डूबा रहता जो भी व्यसन में,
नित लेता ज़हरीली सांस।
करता जीवन के क्षण कम,
पल पल होता वो निराश।।4।।
स्वयं ही जल परिवार जलाये,
हो मानो जैसे सुखी घास।
ये लत न लगे किसी को,
प्रभु से मेरी अरदास।।5।।
स्वरचित
तरुण सिंह पवार