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6 Jul 2022 · 1 min read

नशा कऽ क नहि गबावं अपन जान यौ

अहाँ सब सुनू हमर बात।
सब कोइ मिल कऽ दिय साथ।।
कनि बातों पर दियौ ध्यान यौ।
नशा कऽ क नहि गवावं अपन जान यौ।।

नशा केला सऽ किछु नहि पयाब।
अपना मंजिल तक नहि जायब।।
नहि होत पुरा एकौ टा अरमान यौ।
नशा कऽ क नहि गबावं अपन जान यौ

जे कमेलौं से गमेलऊँ।
अपन जीवन नहि बनेलौं।।
किया भेलियाय नशा कऽ लेल कुर्बान यौ।
नशा कऽ क नहि गबावं अपन जान यौ।।

नशा नहि करू यौ भैया।
खर्चा होत बोझक बोझ रूपया।।
मारु ठोकर, लगाबू नशा पर लगाम यौ।
नशा कऽ क नहि गबावं अपन जान यौ।।
रचना (writer) – विजेन्द्र यादव (Vijendra Yadav)

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