नशा कऽ क नहि गबावं अपन जान यौ
अहाँ सब सुनू हमर बात।
सब कोइ मिल कऽ दिय साथ।।
कनि बातों पर दियौ ध्यान यौ।
नशा कऽ क नहि गवावं अपन जान यौ।।
नशा केला सऽ किछु नहि पयाब।
अपना मंजिल तक नहि जायब।।
नहि होत पुरा एकौ टा अरमान यौ।
नशा कऽ क नहि गबावं अपन जान यौ
जे कमेलौं से गमेलऊँ।
अपन जीवन नहि बनेलौं।।
किया भेलियाय नशा कऽ लेल कुर्बान यौ।
नशा कऽ क नहि गबावं अपन जान यौ।।
नशा नहि करू यौ भैया।
खर्चा होत बोझक बोझ रूपया।।
मारु ठोकर, लगाबू नशा पर लगाम यौ।
नशा कऽ क नहि गबावं अपन जान यौ।।
रचना (writer) – विजेन्द्र यादव (Vijendra Yadav)