*नशा करोगे राम-नाम का, भवसागर तर जाओगे (हिंदी गजल)*
नशा करोगे राम-नाम का, भवसागर तर जाओगे (हिंदी गजल)
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1)
नशा करोगे राम-नाम का, भवसागर तर जाओगे
राजपाट को छोड़ स्वयं को, वन जाना सिखलाओगे
2)
ध्यान लगाकर बैठो क्षण भर, प्रभु का साक्षात्कार करो
छिपा हुआ भीतर अदृश्य जो, फिर उसको ही पाओगे
3)
एक रहस्योद्घाटन जैसा, खुद से मिलना होता है
पूछ रहा हूॅं प्रभु से अमृत, कब मुझ पर बरसाओगे
4)
जो ‘मैं’ हूॅं वह ‘तू’ है ऐसा, तुमने यदि यह जान लिया
अंतर में फिर भेदभाव को, कैसे गले लगाओगे
5)
सबके इस जग से जाने के, रटे-रटाए कारण हैं
देखेंगे कल किस कारण को, तुम कैसे दोहराओगे
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451