नशा एक सामाजिक बुराई
नशा नाश की राह हैं, होता सभी तबाह।
जीवन बीते कष्ट में, पल पल निकले आह।।1
बच्चें तड़पे भूख से, पत्नी रोती रोज।
पति दारू में व्यस्त हैं, मना रहा हैं मौज।।2
खेत खलिहान बिक गए, और गया सम्मान।
ऐसी लत हैं यह नशा, हर लेता मुस्कान।।3
जो करता हैं नित नशा, पीछे वो पछताय।
तन मन धन सब छूटता, कष्ट कष्ट वो पाय।।4
एक संकल्प लीजिए, करें नशे का त्याग।
आज अभी से छोड़िए, अब तो उठिये जाग।।5