नशा……………३
नशा……………३
नशा इश्क का हो तो मुहबब्त से दामन जोडता है,
जुबान बंद होती है मगर नजरो से बहुत कुछ बोलता है
आबाद हुआ तो ठीक है, वरना इस बेरहम जमाने मे
लैला कोई मजनूँ बनके राहो मे पागलो सा डोलता है ।।
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डी. के. निवातियॉ………… @
नशा……………३
नशा इश्क का हो तो मुहबब्त से दामन जोडता है,
जुबान बंद होती है मगर नजरो से बहुत कुछ बोलता है
आबाद हुआ तो ठीक है, वरना इस बेरहम जमाने मे
लैला कोई मजनूँ बनके राहो मे पागलो सा डोलता है ।।
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डी. के. निवातियॉ………… @