*नव संवत्सर आया नभ में, वायु गीत है गाती ( मुक्तक )*
नव संवत्सर आया नभ में, वायु गीत है गाती ( मुक्तक )
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नव संवत्सर आया नभ में, वायु गीत है गाती
रहित हुई गर्मी-सर्दी से, ऋतु सुंदर मुस्काती
पेड़ों पर पत्ते नव छाए, नई सृष्टि की रचना
भरकर सोंधी-सी सुगंध को, माटी है इतराती
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451