नव वर्ष
सजा द्वार स्वागत करती हूँ नव वर्ष
मन मुदित है मन प्रसन्न है देख तुमको
कितने सपन सजा रखे है सुकमारों ने
खेलेगे कूदेगें किलकारी भरा करेगे
भोली हरकतों से हम रिझाया करेगें
हे नव वर्ष तुम बीते दो वर्ष जैसे न होना
क्योंकि मन प्रफुल्लित है देख तुमको
सजा द्वार स्वागत करती हूँ नव वर्ष
युवाओं सारे आशा से परिपूर्ण है
नया नया जोश उनमें जागा है
नव सोपान रचेंगे देश को बढायेंगे
नव सपनों का भारत बनायेगे
पर कोई प्रगति में बाधक बने
ओमिक्रान अपना विस्तार न करे
क्योंकि मन हुलसित है देख तुमको
सजा द्वार स्वागत करती हूँ नव वर्ष