नव वर्ष
दर्द हरण कर सभी के , आने वाले साल
कोरोना से मरा जन , जीवन है बेहाल.
वर्ष बीस ने दिया है , हमको गहरा घाव
मगर वर्ष इक्कीस में , जिओ बड़े ही चाव
मार पडी जब वक्त की , खायी गहरी चोट
क्या दोष मुफलिसी का , जेब में न हो नोट
आने वाले साल तुम , खुशियाँ देना लाख
कोई ऐसा नहीं हो , जिसके हो अश्रु आँख
खडा द्वार नव वर्ष है , करे स्वागत आज
करे काज हम सदा वो , वतन करेगा नाज
संकल्प लेते आज हम , रखे सुता का मान
नजर दरिन्दे उठाये , ले ले उनकी जान
नये साल में देश यह , रचे कीर्ति के मान
कोई भूखा नहीं हो , फले सुखों की खान
जोश नया नित जगा दो,करे कुछ नया काम
बने जगत पहचान तब , नहीं रहे हम आम
भारत के हम निवासी, भारत की है शान
गलत नजर जो उठाये , हरण करे हम प्रान
ध्वज तिरंगा लहरता , हिमगिरी उतुंग शीश
विश्व पटल पर रहेगा , नाम सदा जगदीश
डंका अपना बजे अब , देश और परदेश
इसके आगे झुके सब ,यही आज है सन्देश