नव वर्ष
विधा – वीर छंद
आओ स्वागत करें तुम्हारा, हे नवल वर्ष के नवल प्रभात।
स्वर्ण किरण की साये में भर,लाना खुशियों की सौगात ।। १
वर्ष दो हजार इक्कीस की ,उदय हुआ है नवल प्रभात।
नव उम्मीदें आशाओं से, देख रहे हैं सारे गात।। २
नया सबेरा नई उमंगें, लाना नवल वर्ष इक्कीस।
छटे भयानक घना अँधेरा,जिसने दिया सभी को टीस।। ३
नयी ज्योति की नयी किरण दो,नव जीवन में नवल प्रकाश।
नयी राह उल्लास नवल दो;नित नूतन निर्मल आकाश।। ४
नील गगन-सा शान्त हृदय में, भर दो मधुर पूर्ण उत्साह।
मानव जीवन के अंतर से,भागे सारे बोझिल आह।। ५
मन पवित्र तन रोग मुक्त हो,मधुकर मधुमय मंगल गान।
प्राण-पपीहा बोल उठे फिर,छाये मुखरे पर मुस्कान।। ६
स्कूल कॉलेज खुल जाये,मंदिर मस्जिद चर्च दुकान।
बच्चे बड़े बुजुर्गों का तुम, कर देना पूरे अरमान।। ७
खुले आँख आनन्द-दृश्य हो,मधुवन मृदुल मुकुल मकरंद।
फूलों के सौरभ से छाये, पूरा विश्व विमल आनंद।। ८
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली