नव वर्ष संकल्प
वर्ष ने बदला वर्ष पुराना।
हम भी कुछ हम में बदलें।
धरती को जब मां समझते।
इसका भी कुछ दर्द हर लें।।
करते हैं नित निर्मल तन को।
अंतर्मन भी इस बार धो लें।
बदले तो बस बदले मन को।
यह बात बस खुद से कहले।।
निजी अर्थ सुख के खातिर ।
धरती के अंग रंग मिटा डालें।
कितने कटे हैं वृक्ष अमूल्य?
नई पौध से कैसे तंत्र बचा लें।।
करे संकल्प हम अब मिलकर।
प्लास्टिक प्रदूषण अब हटा लें।
‘लहरी’ का नव वर्ष निवेदन।
जल थल पवन अब तो बचा ले।।
(कवि-डॉ शिव लहरी)