नव वर्ष के आगमन पर याद तुम्हारी आती रही
आज भी है और कल भी रही थी, याद तुम्हारी दिल में छिपी थी ।
हंसते रहे या रोते रहे हों, खाते रहे हो या पीते रहे हों ।
याद जुबां पे आती रही, याद तुम्हारी आती रही ।
शीत हवाऐं जब-जब आई, कलियों पर भोरी मंडराई ।
काली लटाओं में भीनी सी, मस्त सुगंध भरी शीसी सी ।
धूप छांव में कुछ गाती रही, याद तुम्हारी आती रही ।
बीता साल पुराना है, यादों का भरा खजाना है ।
स्वागत है अब नए साल का, हो निपटारा बुरे काल का ।
झूम के आओ, मन बहलाओ, पहले की खुशियां जिलाती रही ।
याद तुम्हारी आती रही, याद तुम्हारी आती रही ।।