नव-फूल
“नव-फूल”
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जब तक जीओ सुख से जीओ |
बेमतलब में ग़म ना पीओ ||
गमी तो साथी वो बला है……..
टाले से जो नहीं टला है ||
बात पे ज़रा तुम गौर करो |
यूँ ना जीवन ! तुम बोर करो ||
जिन्दगी है कितनी अनमोल |
बोल ज़रा तू प्रेम के बोल ||
यह प्रेम ही जीवन साथी है |
मैं दीपक हूँ ! तू बाती है ||
तू है मयंक , मैं हूँ चकोर |
बन मेरे काळजे की कोर ||
तू आज जगा दे प्रीत-राग |
सींच दे मेरे मन का बाग ||
है बिन प्रीत जीवन निर्मूल |
नहीं जीवन में भी है धूल ||
सींच ले आजा इसकी मूल |
चलो खिला दें एक नव-फूल ||
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(डॉ०प्रदीप कुमार “दीप”)
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