दुल्हन वही पिया मन भाए
नव दुल्हन जब है घर आए,जन मुख देखन को ललचाए।
ऐसी-वैसी कैसी होगी,उत्सुकता मन बढ़ती जाए।।
देवर ननदिया सास-ससुर जी,
पग-पग नैन बिछाएँ वर जी,
प्रथम चरण पड़ते घर-आँगन,
ख़ुशियों के खुल जाएँ दर जी,
नव रिश्तों की देख फुहारें,नव-दुल्हन घबरा शरमाए।
मिलता प्यार दुलार सभी का,शोभा घर की वो बन जाए।।
नव रिश्तों से महके गुलशन,
चाँद-सितारों से नभ-आँगन,
जीते हर मन अपनेपन से,
सबकी प्यारी हो नव-दुल्हन,
रंग-बिरंगे देख नज़ारे,मन में लड्डू फूटा जाए।
झमझम करती फिरती घर में,रौनक के वो पंख लगाए।।
साजन के मन की हो प्यारी,
रिश्तों की ले ज़िम्मेदारी,
मन से हँसके प्रीत निभाए,
जीवन होगा फिर सुखकारी,
सोच यही माँ से ले आती,अपने सारे फ़र्ज़ निभाए।
अधिकारों की करके सुरक्षा,दुल्हन वही पिया मन भाए।।
आर.एस.प्रीतम
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