नव दुर्गा रूप में आज के समय की नारी
नव दुर्गा रूप में आज के समय की नारी
प्रेम दया क्षमा धीरता और वीरता का परिचय हो तुम
सद्गुण शांति उदारता और सौंदर्य की परिचारिका तुम
होते नवदुर्गा के नौ रूप सब रूपों में महत्वपूर्ण हो तुम
जाने इन रूपों को जो मोह ले सबका मन वो नारी हो तुम
पहला रूप है शैलपुत्री जन्म लेकर पुत्री रूप मन मोह लिया
सबके दिलों में जगह बनाकर खुशियों से घर भर दिया
दूसरा रूप है पार्वती जिस रूप में अनेकों रूप हैं विद्यमान
रुक्मणी सीता या जरुरत पड़े तो बन जाती सावित्री हो तुम
तीसरा रूप कुष्मांडा का जिसमे सबसे बड़ा गुण जन्म देना है
इस संसार में नारी की सबसे बड़ी रचना जन्मदात्री हो तुम
चौथा रूप है स्कंदमाता जो बच्चों का भरणपोषण करती है
देती बच्चो को उत्तम संस्कार सुदृढ़ पीढ़ी को बनाती हो तुम
पाँचवा रूप है सरस्वती का जो हमें शिक्षा उत्तम देती है
शिक्षित करती हमको जीवन में ज्ञान का भण्डार हो तुम
छठा रूप है अन्नपूर्णा का जो घर में खाना जरुर खिलाती है
अनाज हमेशा रहता घर में माँ स्वरुप अन्नपूर्णा नारी कहलाती है
सातवां रूप है लक्ष्मी का जिससे घर में धन समृद्धि आती है
अपने कर्म और भाग्य से घर बाहर सम्मान बनाकर रखती तुम
आठवां रूप है दुर्गा या काली का रूप शक्ति का दिखाती है
हर जगह अपने साहस और पराक्रम का परिचय दे जाती तुम
नौवा रूप है गायत्री का जो हम सबको ज्ञानवान बनाती है
कहते भी हैं जहाँ ज्ञान है वहां शक्ति और समृद्धि होती है
प्रेम दया क्षमा धीरता और वीरता का परिचय हो तुम
नव दुर्गा के रूप में आज के समय की नारी हो तुम
सोनी गुप्ता
कालकाजी नई दिल्ली -19