नव किसलय
नव किसलय स्फुटित हो
चटक रही है कली कली
गुंजित है हर फूल खिला है
हर डाली पर अलि अलि
भाष्कर आभा फैलाए
खिले हुए है पुष्प डालपर
महक रही हर गली गली
सुन्दर स्मित प्रकृति कर रही
सब दिखता है भली भली
शुभप्रभात
विन्ध्यप्रकाश मिश्र