नवोदय अपना….
नवोदय अपना
????
याद नवोदय ऐसे आता,संग हवा के ख़ुशबू आए।
रंग-बिरंगे चलचित्र सजा,मन पावन पुलकित हो जाए।।
संस्कार लिए आधार लिया,
नव जीवन का संसार लिया,
खेले कूदे खूब पढ़े हम,
मन-दर्पण आज निखार लिया,
भूले से भूला ना जाए,लोहा सोने-सा चमकाए।
पारस एक नवोदय अपना,क्यों ना फिर ये मन को भाए।।
नभ-तारों-सा परिवार लगे,
जो आए चमके पार लगे,
भेद नहीं हो मन से मन का,
मन माला मनका यार लगे,
सोच नयी है सुविचार नया,भटका राह उजाला पाए।
दीपक एक नवोदय अपना,जीवन तम को दूर भगाए।।
काश!नवोदय संसार बने,
जनमन का हो विस्तार बने,
पग-पग पावन फिर देख धरा,
स्वर्ग से सुंदर संसार बने,
गीत नया इक गाया जाए,ताल नवोदय की ही छाए।
सरग़म एक नवोदय अपना,सबके क़दमों को थिरकाए।।
आर.एस.प्रीतम