नववर्ष मुबारकबाद
—-नववर्ष मुबारकबाद —-
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नववर्ष मुबारक क्षण है आ गया
खुशियों का खजाना ले आ गया
बदल लो सोच ,करोगे तुम मौज
सोये हैं अरमान, जगाने आ गया
मिट गया है तम,ना हो कोई गम
नई भोर का उजाला ले आ गया
भूल जाओ तुम,गतवर्ष जो हुआ
नई शुरुआत करवाने,है आ गया
जीवन स्वप्न,अधूरे जो रह गए थे
नव रस संग,पूरे करवाने आ गया
मन रखो साफ,कर दो सभी माफ
मन मुटावों को मिटाने है आ गया
अपनों को कर याद,करो फरियाद
बधाई लेने देने का मौका आ गया
सज धज कर,तुम हो जाओ तैयार
गिलेशिकवों को भुलाने है आ गया
रूठे जो थे तुम से,मना लो दिल से
गले लग जाने का मौसम आ गया
नववर्ष प्रथम दिवस,नसीब से आए
खुशियां बांटने का मौका है आ गया
छोटा हो या बड़ा,रिश्ता हो बस खरा
रिश्ते सुधारने का अवसर है आ गया
सुखविंद्र पिलाओ तुम,प्रेमभरी मदिरा
प्रेम ज्योति जगाने का मौका आ गया
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)