नववर्ष पर घर आओ तो
नववर्ष पर घर आओ तो
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साल नया बोलो क्या दोगे?
साल नया बोलो क्या लोगे?
दिन बदलेगा और बस तारीख़।
क्या दिल से दिल भी बदलोगे?
क्या भूलोगे कडबी बातें ?
क्या नफ़रत का नाम ना लोगे?
क्या भूलोगे हमें गिराना ?
क्या खंजर से काम ना लोगे?
क्या चुगली छोड़ोगे करनी?
क्या अपनी फितरत बदलोगे?
क्या छोड़ोगे धोखा देना?
क्या तुम मौका भी छोड़ोगे?
क्या विश्वास में विष ना दोगे?
क्या तुम अब धोखा ना दोगे?
बदल सको गर फितरत गंदी
देने बधाई घर तक आना।
वर्ना अपनी मीठी बातें
फोन पर भी नहीं सुनाना।
अपनी गंदी राजनीति की
अपने घर नववर्ष मनाना।
जैसे पहले से दूर थे
ऐसे ही बस दूरी रखना।
हमें अकेले आता चलना
नहीं किसी से हाथ मिलाना
हमको बस उनसे मिलना है
जिनको आता साथ निभाना।
“सागर” अच्छे लोग बहुत है
सबको ये संदेश सुनाना।
नववर्ष पर सपथ ये खाओ
गद्दारों से कभी ना मिलना।
टाइम पास लोगों की अब
अपने पास से भीड़ हटाना।
नये दोस्त का करो स्वागत
अपनों को भी गले लगाना।
फिर होकर के मस्त जश्न में
नववर्ष हंस हंस के मनाना।।
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जनकवि/ बेखौफ शायर
डॉ.नरेश “सागर”
9149087291
10.23