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15 Jun 2023 · 1 min read

नववर्ष अभिनंदन

नववर्ष तुम्हारा अभिनंदन है
जग में यह वंदन है
प्रकृति में नवराग उन्माद है
बिखरा लताओं का जाल
पुष्प मुस्कान लिए
भंवर कर गुंजार रहे
तितलियां बैठी पंख पसार
मानों बस यही गान लिए।
जन मन में उल्लास है
मंगल मय आभास है
जग जीवन में अगाज लिए
नव भारत का यह स्वप्न लिए
जग में नवनिर्माण लिए
सनातन धर्म का जयघोष
बस यही उदघोष है
नील गगन का नवरंग है
नभ से धरा तक तरंग है
प्रकृति की छवि भी अनमोल
बदल गया है भुगोल
मन्दिरों में शंखनाद हुआ
घंटा ध्वनि बाजे ढोल मृदंग
नववर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा
आर्यावर्त की रही सदा परम्परा
नूतन वर्ष तुम्हारा अभिनंदन है

नेहा
खैरथल अलवर (राजस्थान)

Language: Hindi
96 Views
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