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15 Oct 2020 · 1 min read

नववधू प्रभा

नववधू प्रभा

विस्तृत नभ ने प्रात पट खोले
स्वर्णिम आभा चहूँ ओर छायी
पूरब उदित रश्मिरथी प्रभाकर
नववधू प्रभा ने उठ ली अंगड़ाई

खोल अलसित नयनों के द्वार
कनक रश्मि लहरों में नहा कर
ओढ़ा सिंदूरी आँचल का घूँघट
धीरे धीरे अवतरित हुई धरा पर

तुषार कण निज छवि सँवारी
चंचल उर्म्मि करे नदियों पर नर्तन
लालिमामय यौवन मुख प्रभाविद्
उल्लसित उर पा धरणी आलिंगन

प्रभापल्लवित कोंपल कानन उपवन
खग विहग कलरव संगीत मृदु गात
सघन तमस विलुप्त कर उषा उजास
नवल किरण संग सस्मित नव प्रभात

गोधूलि बेला किरण क्षितिज टकरायी
टूटी बिखरी छितरी अरुणामयी अंबर
कण कण चुन लायी निशा विभावरी
अन्तर्धान प्रभा कर सर्वस्व न्योछावर

रेखा

Language: Hindi
2 Likes · 250 Views
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