नववधू प्रभा
नववधू प्रभा
विस्तृत नभ ने प्रात पट खोले
स्वर्णिम आभा चहूँ ओर छायी
पूरब उदित रश्मिरथी प्रभाकर
नववधू प्रभा ने उठ ली अंगड़ाई
खोल अलसित नयनों के द्वार
कनक रश्मि लहरों में नहा कर
ओढ़ा सिंदूरी आँचल का घूँघट
धीरे धीरे अवतरित हुई धरा पर
तुषार कण निज छवि सँवारी
चंचल उर्म्मि करे नदियों पर नर्तन
लालिमामय यौवन मुख प्रभाविद्
उल्लसित उर पा धरणी आलिंगन
प्रभापल्लवित कोंपल कानन उपवन
खग विहग कलरव संगीत मृदु गात
सघन तमस विलुप्त कर उषा उजास
नवल किरण संग सस्मित नव प्रभात
गोधूलि बेला किरण क्षितिज टकरायी
टूटी बिखरी छितरी अरुणामयी अंबर
कण कण चुन लायी निशा विभावरी
अन्तर्धान प्रभा कर सर्वस्व न्योछावर
रेखा